30 साल से बेघर कश्मीरी पंडित
कश्मीर में 400000 लोगों को सिर्फ इसलिए भगाया गया क्योंकि वो हिन्दू थे। उनके पास 3 विकल्प थे-
1. इस्लाम कबूल करो
2. भाग जाओ
3. मारे जाओ
न संविधान खतरे में आया और न इन 30 सालों में उन्हें उनका हक दिलाने के लिए किसी ने आवाज ही उठायी। 1989-1990 के बीच मे कश्मीर में वैसे ही आज़ादी के नारे लगते थे जैसे आज CAA के विरोध में लग रहे है।
शायद तब भारत पंथनिरपेक्ष नही था या पंथ निरपेक्ष शब्द एक छलावा है जिसके नाम पर आज तक हिंदुओं को छला ही गया है।
गंगा जमुनी तहजीब के नाम पर इस्लाम के रक्षकों ने अपने ही पड़ोसियों का कत्ल किया, महिलाओं का बलात्कार किया और हज़ारों मंदिर तोड़ दिए।
जब हम हिन्दू ही एकसाथ मिलकर अपने भाइयों के लिए नही खड़े हुए तो हम दूसरों से क्या उम्मीद रखें। कश्मीरी पंडितों को न संविधान बचा पाया न ही कानून, न पुलिस और न फौज। ये सब छोड़िये आज 30 साल हो जाने के बाद न उन्हें इंसाफ मिला नया ही उनका हक।
एक अख़लाक़ के मरने पे पूरे देश मे मातम मनाया जाता है। INTOLERANCE का झूठ पूरे देश मे बेचा जाता है। 1990 में हजारों को काट डाला गया कही किसी ने कुछ नही कहा। देश TOLERANT था। मुस्लिम TOLERANT और हिन्दू भी TOLERANT था। अख़लाक़ के लिए पूरा देश एक हो गया। उसे इंसाफ दिलाने के लियेे सभी एकजुुुट हो गए। न्यायिक जांच भी हुई। लेकिन कश्मीर में आजतक कोई जांच नही हुई। कत्ल करने वाले फक्र से खुलेआम घूम रहे है।
एक भीड़ एक चोर को पीट देती है जिससे उसकी मौत होती है- पूरे देश मे हल्ला होता है MOB LYNCHING।
1990 में जो कश्मीर में इस्लाम के नाम पे कत्लेआम हुआ न वो intolerance था न ही mob lynching । न ही उस आतंकवाद का किसी धर्म से कुछ लेना देना था। इस्लाम तो अमन का मज़हब है, आतंकवाद तो भगवा ही फैलाता है।
हमारी उदासीनता और निष्क्रियता ने हमें कहाँ पहुँचा दिया ये सोचने वाली बात है।
भारत एक पंथ निरपेक्ष देश है मैं तब तक नही मानता जबतक हर कश्मीरी पंडित को उसका हक वापस नही मिलता, उसे इंसाफ नही मिलता। इसके बिना सेक्युलरिज़्म एक झूठ मात्र है जो भारत की बहुसंख्यक समाज को बरगलाने का जरिया है।
19 Jan1990 when jihadi terrorists murdered 1000s Kashmiri Pandits & forced them to leave Kashmir.— Major Surendra Poonia (@MajorPoonia) January 19, 2020
Congress/Left/Owaisi/Mamta/Kejri protesting against CAA & supporting Rohingiyas but NEVER stood for Kashmiri Pandits.
Why ? Bcs they sold themselves for Muslim votes. Never Forgive ! pic.twitter.com/lTnJaXftQT
"Leave, Die or Convert"— Geetika Swami (@SwamiGeetika) January 19, 2020
A #KashmiriPandit recalls the horror of how announcements were made from Mosques
One of India's worst Ethnic cleansing that made #KashmiriPandits refugees in their homeland! #Justice4KashmiriHindus #KashmiriHinduExodus #SundayThoughts pic.twitter.com/cSxasWgsPA
जिहादी ताकतों ने #KashmiriPandits पर ऐसा कहर ढाया कि उनके पास सिर्फ 3 ही विकल्प थे- ''या तो धर्म बदलो, मरो या पलायन करो.''#KashmiriPandit #Justice4KashmiriHindushttps://t.co/4h4Ok9imGZ— Zee News Hindi (@ZeeNewsHindi) January 19, 2020
Today is the 30th anniversary of the ethnic cleansing of #KashmiriPandits from Kashmir:— Baijayant Jay Panda (@PandaJay) January 19, 2020
The brutal murders of hundreds, their homes destroyed, & lakhs of them driven out at gunpoint.
This four year old video by @AnupamPKher is a poignant reminder 🙏🙏
https://t.co/WktBeXhZtE
बर्बरता की उस रात निहत्थे सिखों को दो समूहों में खड़ा किया गया। आतंकियों में से एक पास के ही गाँव का रहने वाला था। उसे एक सिख ने पहचान लिया। गोलीबारी से पहले उसने आतंकी से पूछा ‘चट्टिया तू इधर क्या कर रहा है’?— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) January 19, 2020
उस स्याह रात की याद दिला रहे @Khandelwaldevhttps://t.co/hY2zZkafMW
Views are personal.
Akash Shukla
iamakashukla@gmail.com
30 साल से बेघर कश्मीरी पंडित
Reviewed by Janhitmejankari Team
on
January 18, 2020
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