Bhai behn ke pyaar ka tyohar : Rakshabandhan
रक्षाबंधन
(भाई बहन के प्यार का बन्धन)
रक्षाबंधन - रक्षा का अर्थ सुरक्षा , बंधन का अर्थ बाधित
रक्षाबंधन एक हिन्दू त्यौहार है जो कि श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। सावन मास में मनाए जाने के कारण इसे सावनी(श्रावणी/सलूनो) भी कहा जाता है। यह त्योहार
भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। बहन भाई को राखी बाँध कर सदैव अपनी सुरक्षा का वचन लेती है। रक्षाबंधन में राखी /रक्षा सूत्र का बहुत महत्त्व है। रखी कई प्रकार की होती हैं जैसे कि कच्चे सूत की,रंगीन रेशम ,रंगीन धागे की,सोने, चांदी की।
बहने रक्षाबंधन से एक दिन पहले ही भाई के लिए राखी और मिठाई खरीद लाती है। रक्षाबंधन के दिन नहा धोकर ,नए वस्त्र पहनकर सबसे पहले भाई की आरती करती है और भाई की लंबी उम्र की कामना करती है फिर भाई की कलाई पर राखी बांध कर उसका मिठाई से मुँह मीठा करवाती है। ततपश्चात भी बहन के पैर को छूकर उसको उपहार देता है साथ ही यह वचन भी देता है कि वह सदैव बहन की मदद को त्तपर रहेगा। इस प्रकार यह त्योहार प्रतिवर्ष इसी प्रकार मनाया जाता है।
* भद्रा का साया न होने के कारण सूर्योदय से शाम 5:58 तक रहेगा शुभ मुहूर्त
* दोपहर 1:43 से 4:20 तक के बीच राखी बांधने से मिलेगा विशेष फल
रक्षाबंधन एक हिन्दू त्यौहार है जो कि श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। सावन मास में मनाए जाने के कारण इसे सावनी(श्रावणी/सलूनो) भी कहा जाता है। यह त्योहार
भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। बहन भाई को राखी बाँध कर सदैव अपनी सुरक्षा का वचन लेती है। रक्षाबंधन में राखी /रक्षा सूत्र का बहुत महत्त्व है। रखी कई प्रकार की होती हैं जैसे कि कच्चे सूत की,रंगीन रेशम ,रंगीन धागे की,सोने, चांदी की।
बहने रक्षाबंधन से एक दिन पहले ही भाई के लिए राखी और मिठाई खरीद लाती है। रक्षाबंधन के दिन नहा धोकर ,नए वस्त्र पहनकर सबसे पहले भाई की आरती करती है और भाई की लंबी उम्र की कामना करती है फिर भाई की कलाई पर राखी बांध कर उसका मिठाई से मुँह मीठा करवाती है। ततपश्चात भी बहन के पैर को छूकर उसको उपहार देता है साथ ही यह वचन भी देता है कि वह सदैव बहन की मदद को त्तपर रहेगा। इस प्रकार यह त्योहार प्रतिवर्ष इसी प्रकार मनाया जाता है।
प्रचलित कहानी
ऐसे तो रक्षाबंधन से जुड़ी कई कहानियां है लेकिन उनमें से सबसे महत्वपूर्ण है मेवाड़ की रानी कर्मवती और मुगल बादशाह हुमायूँ की कहानी।
ऐसा माना जाता है कि मेवाड़ को बहादुरशाह के आक्रमण से बचने में असमर्थ रानी कर्मावती ने मुगल बादशाह हुमायूँ को रक्षा शूत्र भिजवा कर सुरक्षा की मांग की थी। तब हुमायूँ ने मुस्लिम होते हुए भी रानी के बुलावे पे मेवाड़ जाकर बहादुरशाह से मेवाड़ की शुरक्षा की।
एक बार द्रौपदी ने कृष्ण के हाँथ में चोट लग जाने पर अपने साड़ी का पल्लू बांधा था तब कृष्ण ने वचन दिया था कि द्रौपदी को जब जरूरत पड़ेगी तब कृष्ण उनकी रक्षा करने पहुंचेंगे। इसी वचन को पूरा करने के लिए जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा रहा था तब कृष्ण ने द्रौपदी की साड़ी लम्बी कर उनकी मान की रक्षा की थी।
रक्षाबंधन 2019 का शुभ मुहूर्त
* दोपहर 1:43 से 4:20 तक के बीच राखी बांधने से मिलेगा विशेष फल
Bhai behn ke pyaar ka tyohar : Rakshabandhan
Reviewed by Annu
on
August 14, 2019
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