Namvar Singh passes away at age of 92 नामवर सिंह का 92 वर्ष की आयु में एम्स में निधन
Namvar Singh passes away at age of 92 हिंदी जगत के प्रख्यात साहित्यकार और आलोचक नामवर सिंह का 92 वर्ष की आयु में एम्स में निधन।
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मंगलवार रात तकरीबन 11.50 बजे साहित्यकार एवं आलोचक डॉ नामवर सिंह जी ने आखिरी सांस ली। खराब सेहत की वजह से पिछले कुछ समय से वह एम्स में भर्ती थेl गत माह जनवरी मेे अपने घर में अचानक गिर पड़े थे। परिवार जनों नेे उन्हें में एम्स भर्ती करवाया था।लोधी रोड स्थित श्मशान घाट पर बुधवार दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनकी मृत्यु से देश ने साहित्य जगत का एक बड़ा सितारा खो दिया।
उनके निधन पर साहित्य जगत से लेकर राजनेताओं और आम जनमानस सब शोकाकुल है।
हिन्दी साहित्य के जाने माने समालोचक डॉ. नामवर सिंह जी के निधन पर गहरा दुःख पहुंचा। अपनी विविध रचनाओं के माध्यम से उन्होंने साहित्य जगत को समृद्ध किया। डॉ. सिंह का निधन, समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शान्ति एवं शोक संतप्त परिजनों को धैर्य प्रदान करें।— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) February 20, 2019
हिंदी आलोचना के शलाका-पुरुष, हमारी ज्ञान-ऋषि परम्परा के युगीन कुलाधिपति, आदरणीय गुरुप्रवर डॉ नामवर सिंह जी के निधन का समाचार एक अव्यक्त रिक्तता के वास्तविक आभास जैसा है ! ईश्वर पूज्य आचार्यश्री को अपनी कृपाछाया में शान्तिपूर्ण स्थान प्रदान करे ! ॐ शान्ति ॐ 😢🙏 pic.twitter.com/fLaQv8Oy13— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) February 20, 2019
कभी जब याद आ जाते— दूरदर्शन न्यूज़ (@DDNewsHindi) February 20, 2019
नयन को घेर लेते घन,
स्वयं में रह न पाता मन
लहर से मूक अधरों पर
व्यथा बनती मधुर सिहरन
न दुःख मिलता न सुख मिलता
न जाने प्राण क्या पाते!
साहित्य अंबर के जगमग सितारे डॉ #NamvarSingh को श्रद्धांजलि pic.twitter.com/BTh80v6cTl
डॉक्टर नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1927 को जीयनपुर वाराणसी मे हुआ था। 1951 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से एम ए करने के 2 साल बाद वहां के हिंदी के व्याख्याता नियुक्त हुए। हजारी प्रसाद द्विवेदी जी के शिष्य थे।
डॉ. नामवर सिंह ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के अलावा दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में लंबे अरसे तक अध्यापन कार्य किया था। BHU से हिंदी साहित्य में एमए और पीएचडी की डिग्री हासिल करने वाले नामवर सिंह ने हिंदी साहित्य जगत में आलोचना को नया मुकाम दिया। जेनयू से पहले उन्होंने सागर और जोधपुर यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाया।
जनयुग और आलोचना नाम की दो हिंदी पत्रिकाओं के वह संपादक भी रहे। 1959 में उन्होंने चकिया-चंदौली सीट से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन हार के बाद बीएचयू में पढ़ाना छोड़ दिया। उन्होंने बढ़ती 'असहिष्णुता' के नाम पर साहित्य अकादमी लौटाने वाले लेखकों की आलोचना की थी।उन्होंने कहा कि यह सम्मान लेखकों को केंद्र की तरफ से नहीं दिया जाता बल्कि साहित्य अकादमी की तरफ से दिया जाता है। उन्होंने कहा था, 'मैं अपने साथियों का सम्मान करता हूं लेकिन उन्हें अपना साहित्य अकादमी सम्मान वापस नहीं करना चाहिए। यह सम्मान उन्हें सरकार नहीं अकादमी देती है।'
हिंदी के प्रख्यात आलोचक साहित्यकार और लेखक डॉ नामवर सिंह 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से कविता के नए के नए प्रतिमान के लिए नवाजा गया था।
नामवर जी की कुछ प्रमुख कृतियां
1. आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियां 1954
2. छायावाद 1955
3. इतिहास और आलोचना 1957
4. कहानी नई कहानी 1964
5. कविता के नए प्रतिमान 1968
6.दूसरी परंपरा की खोज1982
7. वाद विवाद और संवाद1989
उनकी प्रसिद्ध कविताएँ:-
1.विजन गिरिपथ पर चटखती
2.धुँधुवाता अलाव
3. नभ के नीले सूनेपन मे
नभ के नीले सूनेपन में
हैं टूट रहे बरसे बादर
जाने क्यों टूट रहा है तन !
बन में चिड़ियों के चलने से
हैं टूट रहे पत्ते चरमर
जाने क्यों टूट रहा है मन !
घर के बर्तन की खन-खन में
हैं टूट रहे दुपहर के स्वर
जाने कैसा लगता जीवन !
Namvar Singh passes away at age of 92 नामवर सिंह का 92 वर्ष की आयु में एम्स में निधन
Reviewed by Pragatisheel Bharat
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February 20, 2019
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