Legendary Filmmaker Mrinal Sen dies at 95
Eminent Filmmaker Mrinal Sen Passes away
बांग्ला फिल्मों के मशहूर फिल्ममेकर मृणाल सेन का निधन हो गया है। वो 95 साल के थे।मृणाल सेन के बेटे कुणाल सेन, जो शिकागो में रहते हैं, के कोलकाता आने तक उनका अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। मृणाल सेन ने अपने परिवार से कहा था कि उनकी मृत्यु के बाद लोग उनके शरीर पर फूल और माल्यार्पण न करें और उनके पार्थिव शरीर को दर्शन के लिए नहीं रखा जाना चाहिए। मृणाल सेन की मृत्यु पर बड़े बड़े दिग्गजों ने ट्वीट कर अपनी संवेदना प्रकट की है।
मृणाल सेन विख्यात फिल्मकार थे। उनकी कई बेहतरीन फिल्मों के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से नवाजा गया है। उन्हें बैशे सरबन (बंगाली, 1960), भुवन शोम (हिंदी, 1969), मृगया (हिंदी, 1976), ओका ऊरी कथा (तमिल, 1977), अकालेर संधाने (बंगाली, 1980), ख्रिज (बंगाली, 1982) और खंडहर (हिंदी, 1983) जैसी कई फिल्मों के लिए जाना जाता है।
साल 2005 में भारत सरकार ने उनको 'पद्म विभूषण' और 2005 में 'दादा साहब फाल्के' अवॉर्ड से सम्मानित किया था। सेन ने कान्स, बर्लिन, वेनिस और मॉस्को सहित कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार जीते थे।
1955 में मृणाल सेन ने अपनी पहली फीचर फिल्म 'रातभोर' बनाई। उनकी अगली फिल्म 'नील आकाशेर नीचे' ने उनको स्थानीय पहचान दी और उनकी तीसरी फिल्म 'बाइशे श्रावण' ने उनको इंटरनेशनल पहचान दिलाई। उनकी अधिकतर फ़िल्में बांग्ला भाषा में है। मृणाल ने फेमस बॉलीवुड एक्टर मिथुन चक्रवर्ती को फिल्मों में लॉन्च किया था। जिसके लिए मिथुन को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था।
मृणाल सेन का जन्म 14 मई 1923 में फरीदपुर नामक शहर में (जो अब बांग्ला देश में है) में हुआ था। हाईस्कूल की परीक्षा पास करने बाद उन्होंने शहर छोड़ दिया और कोलकाता में पढ़ने के लिये आ गये। वह भौतिक शास्त्र के विद्यार्थी थे और उन्होंने अपनी शिक्षा स्कोटिश चर्च कॉलेज़ एवं कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पूरी की। अपने विद्यार्थी जीवन में ही वे वह कम्युनिस्ट पार्टी के सांस्कृतिक विभाग से जुड़ गये। यद्यपि वे कभी इस पार्टी के सदस्य नहीं रहे पर इप्टा से जुड़े होने के कारण वे अनेक समान विचारों वाले सांस्कृतिक रुचि के लोगों के परिचय में आ गए| 1998 से 2003 तक वे कम्युनिष्ट पार्टी की ओर से राज्यसभा के लिए भी नॉमिनेट किए गए।
भारत में समांतर सिनेमा
पांच और फिल्में बनाने के बाद मृणाल सेन ने भारत सरकार की छोटी सी सहायता राशि से 'भुवन शोम' बनाई, जिसने उनको बड़े फिल्मकारों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया और उनको राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्रदान की। 'भुवन शोम' ने भारतीय फिल्म जगत में क्रांति ला दी और कम बजट की यथार्थपरक फ़िल्मों का 'नया सिनेमा' या 'समांतर सिनेमा' नाम से एक नया युग शुरू हुआ। मृणाल दा ने 80 साल की उम्र में 2002 में अपनी आखिरी फिल्म आमार भुवन बनाई थी।
पांच और फिल्में बनाने के बाद मृणाल सेन ने भारत सरकार की छोटी सी सहायता राशि से 'भुवन शोम' बनाई, जिसने उनको बड़े फिल्मकारों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया और उनको राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्रदान की। 'भुवन शोम' ने भारतीय फिल्म जगत में क्रांति ला दी और कम बजट की यथार्थपरक फ़िल्मों का 'नया सिनेमा' या 'समांतर सिनेमा' नाम से एक नया युग शुरू हुआ। मृणाल दा ने 80 साल की उम्र में 2002 में अपनी आखिरी फिल्म आमार भुवन बनाई थी।
पुतिन ने दिया था अवॉर्ड
साल 2000 में उन्हें रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप सम्मान से सम्मानित किया। इसके अलावा फ्रांस सरकार ने उनको "कमान्डर ऑफ द ऑर्ट एंडलेटर्स" की दी और रशियन सरकार ने "ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप" सम्मान दिया। साहित्य के लिए नोबेल प्राप्त लेखक गैब्रियल गार्सिया मार्खेज उनके खास मित्रों में से हैं। मृणाल दा ने कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म प्रतिस्पार्धाओं में जज/ ज्यूरी की भूमिका निभाई है। कांस को वे अपना दूसरा घर बताते रहे हैं।
साल 2000 में उन्हें रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप सम्मान से सम्मानित किया। इसके अलावा फ्रांस सरकार ने उनको "कमान्डर ऑफ द ऑर्ट एंडलेटर्स" की दी और रशियन सरकार ने "ऑर्डर ऑफ फ्रेंडशिप" सम्मान दिया। साहित्य के लिए नोबेल प्राप्त लेखक गैब्रियल गार्सिया मार्खेज उनके खास मित्रों में से हैं। मृणाल दा ने कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म प्रतिस्पार्धाओं में जज/ ज्यूरी की भूमिका निभाई है। कांस को वे अपना दूसरा घर बताते रहे हैं।
Legendary Filmmaker Mrinal Sen dies at 95
Reviewed by Princy singh
on
December 30, 2018
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