How to minimize ill effects of pollution? प्रदुषण के दुष्प्रभाव से कैसे बचें ? प्रदुषण के असर को कैसे कम करें ?
प्रदुषण के दुष्प्रभाव से कैसे बचें ? प्रदुषण के असर को कैसे कम करें ?
‘पर्यावरण के जैविक एवं अजैविक घटकों में होने वाला किसी भी प्रकार का परिवर्तन ‘पर्यावरण प्रदूषण’ कहलाता है।’ प्रदूषण एक प्रकार का अत्यंत धीमा जहर है, जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर उसे रुग्ण बना देता है, वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही विश्व में प्राणियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी इस संसार से विलुप्त हो गए हैं, उनका अस्तित्व ही समाप्त हो गया है। यही नहीं प्रदूषण अनेक भयानक बीमारियों को जन्म देता है। कैंसर, तपेदिक, रक्तचाप, शुगर, एंसीफिलायटिस, स्नोफीलिया, दमा, हैजा, मलेरिया, चर्मरोग, नेत्ररोग और स्वाइन फ्लू, जिससे सारा विश्व भयाक्रांत है, इसी प्रदूषण का प्रतिफल है। आज पूरा पर्यावरण बीमार है। हम आज बीमार पर्यावरण में जी रहे हैं। प्रदूषण के कारण आज बहुत बड़ा संकट उपस्थित हो गया है।
प्रदूषण से होने वाली बहुत सी ऐसी बीमारियां हैं जो आम तौर पर देखी जा सकती और बहुत हानिकारक होती हैं। हमारा प्रदूषण से बचना बहुत मुश्किल होता है। हम अक्सर प्रदूषण से घिरे रहते हैं। आजकल हवा में प्रदूषण की मात्रा हर जगह मिलेगी। चाहे घर हो या घर के बाहर, चाहे हम आॅफिस में हों या कहीं और हर जगह प्रदूषण से घिरे हैं। प्रदूषण से बचना हमारे लिए मुश्किल काम है लेकिन नामुमकिन नहीं। देश में इस वक्त प्रदूषण मुख्य समस्या बना हुआ है। वैसे तो प्रदूषण के कई प्रकार होते हैं लेकिन अगर वायु प्रदूषण की बात करें तो वो सबसे हानिकारक होता है।
ग्लोबल बर्डेन ऑफ़ डिसीसेस की रिपोर्ट के अनुसार हर साल भारत में वायु प्रदुषण की वजह से 6,20,000 लोगों की मौत हो जाती है | लैंसेट कमीशन ऑन पोल्युशन एंड हैल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक भारत एक ऐसा देश है जहाँ पर प्रदुषण के कारण पुरे विश्व में सबसे ज्यादा मौतें होती हैं |
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए जरुरी है कि हम प्रदुषण से कैसे स्वयं का बचाव करें |
- एक अध्ययन के मुताबिक, एलो वेरा, स्नेक प्लांट , केले का पेड़, वीपिंग फिग, पीस लिली , फ्लेमिंगो फ्लॉवर, एस्परागस फर्न और डेविल्स ईवी जैसे पौधे हवा को स्वच्छ करते हैं। घर में हवा को स्वच्छ करने के लिए दस वर्ग मीटर की दूरी पर पौधा लगाना होगा या अपने बेड रूम में पौधा लगाएं जिससे आपके घर की हवा शुद्ध होगी और सभी हानिकारक केमिकल्स ख़त्म हो जायेंगे |
- घर के बाहर जितना ज्यादा सक्रिय रहेंगे, उतना ही प्रदूषित हवा ग्रहण करेंगे। लिहाजा बाहर कसरत और सैर करने से बचें। कसरत से फायदा कम दूषित हवा से नुकसान ज्यादा होगा।
- बहार निकलने से पहले फेस मास्क अवश्य लगाएं | मौजूदा समय में सस्ते और सजिर्कल मास्क से राहत नहीं मिलेगी। ऐसा मास्क लगाना पड़ेगा, जिसमें कार्बन फिल्टर लेयर हो और चेहरे को अच्छे से ढके। 3एम, एन 95 और एन99 मास्क बेहतर विकल्प हैं।
- जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की ओर से किए गए अध्ययन में यह पाया गया है कि अगर तीन महीने तक ब्रोकली का नियमित तौर पर सेवन किया जाए तो यह फेफड़ों को स्वस्थ बनाती है।
- गुड़ और शहद खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है। जिससे हम अनेक बीमारियों से बच सकते हैं। इसका यही गुण प्रदूषण के साइड इफेक्ट को कम करने में भी कारगर है। इसलिए इसे आज ही अपनी डाइट में शामिल कीजिए।
- एक्यूआई इंडेक्स 150 से ज्यादा होने पर ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी वाली एक्सरसाइज, क्रिकेट, हॉकी, साइकलिंग, मैराथन से परहेज करें. प्रदूषण स्तर के 200 से ज्यादा होने पर पार्क में भी दौड़ने और टहलने ना जाएं|| जब प्रदूषण स्तर 300 से ज्यादा हो तो लंबी दूरी की वॉक ना करें| जब स्तर 400 के पार हो तो घर के अंदर रहें, सामान्य वॉक भी ना करें| घर के भीतर रहें| प्रदूषण स्तर 1000 पर होने पर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात होते हैं. इस स्तर पर बिल्कुल भी घर से बाहर ना निकलें, घर पर ही रहें|
- सांसों से शरीर में पहुंचे जहर को बाहर निकालने के लिए पानी बहुत जरूरी है. इसलिए पानी पीना नहीं भूलें. दिन में तकरीबन 4 लीटर तक पानी पिएं. घर से बाहर निकलते वक्त भी पानी पिएं. इससे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई सही बनी रहेगी और वातावरण में मौजूद जहरीली गैसें अगर ब्लड तक पहुंच भी जाएंगी तो कम नुकसान पहुंचाएंगी|
- खाने में जितना हो सके विटामिन-सी, ओमेगा-3 को प्रयोग में लाएं|| शहद, लहसुन, अदरक का खाने में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें. खांसी, जुकाम की स्थिति में शहद और अदरक के रस का सेवन करें|
- गर्भवती महिलाओं और बच्चों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए घर में एयर फ़िल्टर मशीन लगवानी चाहिए। इससे सांस की बीमारियां कम होती हैं।
- लहसुन एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। लहसुन की कुछ कलियां लें और इन्हें 1 चम्मच मक्खन में पकाकर खाएं। इसे खाने के आधे घंटे पहले और बाद में कुछ नहीं खाएं। प्रदूषण से होने कफ़ को दूर करने में यह घरेलू उपाय बहुत लाभदायक है।
- बढ़ते पोल्यूशन के कारण बार बार ज़ुकाम या सम्बंधित इंफ़ेक्शन हो तो अदरक का सेवन बहुत लाभकारी सिद्ध होता है। 1 चम्मच शहद में गुनगुना अदरक का रस मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से ज़ुकाम की समस्या ख़त्म हो जाती है।
- छाती में कफ़ की समस्या होने पर काली मिर्च को पीसकर चूर्ण बना लें। 1 चम्मच शहद में थोड़ा सा काली मिर्च पाउडर मिलाकर खाने से फेफड़े साफ़ रहते हैं और जमा कफ़ निकल जाता है।
- प्रदूषण के बुरे प्रभावों से निपटने के लिए प्राणायाम, कपालभाती और जल नेती जैसे साधारण श्वास आसन का अभ्यास करें। नाक से श्वास लें और चार सेकंड सांस रोककर नाक से ही सांस छोड़ें। नाक से अधिकतम हवा बाहर निकालें। फिर अपना मुंह खोलें और ध्वनि के साथ आखिरी हवा को छोड़ दें। इसे खड़े होकर दिन में 5-10 बार करें।
औद्योगिककरण, शहरीकरण अवैध खनन, विभिन्न स्वचालित वाहनों, कल-कारखानों, परमाणु परीक्षणों आदि के कारण आज पूरा पर्यावरण प्रदूषित हो गया है। इसका इतना बुरा प्रभाव पड़ा है कि संपूर्ण विश्व बीमार है। पर्यावरण की सुरक्षा आज की बड़ी समस्या है। इसे सुलझाना हम सब की जिम्मेदारी है। इसे हमें प्रथम प्राथमिकता प्रदान करना चाहिए तथा पर्यावरण की सुरक्षा में सहयोग देना चाहिए।
“स्वच्छ पर्यावरण आज की जरूरत है, पर्यावरण निरोग तो हम निरोग।”
How to minimize ill effects of pollution? प्रदुषण के दुष्प्रभाव से कैसे बचें ? प्रदुषण के असर को कैसे कम करें ?
Reviewed by Princy singh
on
December 02, 2018
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