Rangoli History Hindi me


Rangoli Deepawali : History and Facts




रंगोली का नाम सुनते ही हमारे दिमाग मे रंगों से भरी हुई कई तस्वीर खींच जाती है।
भारतवर्ष में लगभग हर त्यौहार रंगोली बिना अधूरा है।


आइये जाने कुछ महत्वपूर्ण तथ्य रंगोली के बारे में।


भारत के कुछ क्षेत्रों में अल्पना के नाम से भी संबोधित किया जाता है। अल्पना भी एक संस्कृत शब्द ‘अलेपना’ से बना है, जिसका अर्थ है लीपना अथवा लेपन करना। क्योंकि रंगोली बनाते समय रंगों के प्रयोग से दीवारों पर या फिर ज़मीन पर लेपन ही तो किया जाता है।


रंगोली भारत में विभिन्न त्योहारों मे जैसे दीपावली,व्रत,पूजा, विवाह आदि मे घर के द्वार पर या आंगन मे बनाये जाने कलाकृति है।
ये रंगोली विभिन्न आकृतियों मैं बनाई जाती है जैसे ज्यामितीय आकार ,फूल पतियों के आकार के,पक्षियों के आकार या फिर देवी देवताओं के आकार की।और विभिन्न प्रकार के रंगों का उपयोग किया जाता है  पारंपरिक रंगों का उपयोग जैसे चावल,आटा, हल्दी ,रोली और सिन्दूर। फूलों और पतियों जैसे जैविक रंग।


आजकल तो बाजार में रंगोली डिजाईन बनाने का साँचा भी बिकता है जिससेकि काम से कम समय मे रंगोली बनायीं जा सकती।और रासायनिक रंगों का उपयोग भी बहुत होने लगा है


रंगोली एक अलंकरण कला है जिसका भारत के अलग अलग प्रांतों में अलग अलग नाम है। 

  • उत्तर प्रदेश में चौक पूरना
  • राजस्थान में मांडना
  • बिहार में अरिपन 
  • बंगाल में अल्पना 
  • महाराष्ट्र में रंगोली 
  • कर्नाटक में रंगवल्ली
  • तमिलनाडु में कोल्लम
  • उत्तरांचल में ऐपण
  • आंध्र प्रदेश में मुग्गु या मुग्गुलु 
  • हिमाचल प्रदेश में 'अदूपना'
  • कुमाऊँ में लिखथाप या थापा
  • केरल में कोलम।



रंगोली का इतिहास



व्रतचारी आंदोलन के जन्मदाता तथा बंगला लोक कला व संस्कृति के विद्वान गुरुसहाय दत्त के अनुसार कमल का फूल जिसे बंगाली स्त्रियां अपनी अल्पनाओं के मध्य बनाती हैं, वह मोहन जोदड़ो के समय के कमल के फूल का प्रतिरूप ही है।

राजा चित्रलक्षण की कहानी


इसके अलावा रंगोली को राजा ‘चित्रलक्षण’ की एक लोक प्रचलित कथा द्वारा भी याद किया जाता है। इस कथा के अनुसार एक बार राजा चित्रलक्षण के दरबार के जाने-माने पुरोहित के पुत्र का अचानक देहांत हो गया, जिसके पश्चात वे बेहद दुखी रहने लगे।
ब्रह्माजी प्रकट हुए उनके दुख को कम करने के लिए राजा ने सृष्टि के रचनाहार भगवान ब्रह्मा से प्रार्थना की। राजा की प्रार्थना सुनकर ब्रह्माजी प्रकट हुए और राजा से दीवार पर उस पुत्र का चित्र बनाने के लिए निवेदन किया जिसकी मृत्यु हुई थी। ब्रह्माजी का वचन सुनकर शीघ्र ही राजा चित्रलक्षण द्वारा दीवार पर एक चित्र बनाया गया और देखते ही देखते उस चित्र से ही राजदरबार के पुरोहित के मृत पुत्र का पुन: जन्म हुआ।


देवी थिरुमाल


रंगोली के साथ मां लक्ष्मी की मूर्ति एवं पग चिन्ह रखने का रिवाज़ तो आम ही पाया गया है। इसके अलावा भारत के दक्षिणी राज्य तमिलनाडु में एक खास मान्यता बनी हुई है। ऐसा माना जाता है कि इस क्षेत्र की पूजनीय देवी ‘मां थिरुमाल’ का विवाह ‘मर्गाजी’ महीने में हुआ था।
वी थिरुमाल का विवाह
इसीलिए इस पूरे माह के दौरान इस क्षेत्र के प्रत्येक घर में रंगोली देखी जा सकती है। इस दौरान घर की कन्याएं सुबह-सवेरे जल्दी उठकर नहा-धोकर स्वच्छ वातावरण बनाकर रंगोली बनाती हैं।


माता सीता का विवाह


ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से मां थिरुमाल की कृपा उस घर पर बनी रहेगी। मां थिरुमाल के अलावा माता सीता के विवाह को भी रंगोली से जोड़ा जाता है। कुछ प्रचलित लोक कथाओं के अनुसार माता सीता के विवाह के समय पूरे नगर एवं विवाह क्षेत्र को खूबसूरत रंगोली के चित्रों से सजाया गया था।

हिन्दू धर्म में आंगन या द्वार पर रंगोली बनाना बेहद शुभ माना जाता है और इसे घर की सुख-समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। दीपावली के मौके पर इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यही कारण है कि दशहरे से लेकर दीपावली तक हर दिन घरों में द्वार पर रंगोली सजाई जाती है। लेकिन इस का महत्व सिर्फ साज-सज्जा या धार्मिक स्तर पर ही नहीं, बल्‍कि वैज्ञानिक स्तर पर भी है। आप भी जानिए रंगोली बनाने के 5 फायदे -


1 रंगोली बनाना एक कला है और जो लो कलाप्रिय हैं वे इसे शौक से बनाते हैं। ऐसे में रंगोली बनाने का पहला बड़ा फायदा तो यह है कि आप इसे बनाते समय बेहद सकारात्मक महसूस करते हैं और यह प्रक्रिया आपके तनाव को छू मंतर कर देती है।



2  रंगोली बनाते समय आपकी अंगुली और अंगूठा मिलकर ज्ञानमुद्रा बनाते हैं, जो आपके मस्तिष्क को ऊर्जावान और सक्रिय बनाने के साथ-साथ बौद्ध‍िक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।



3 एक्यूप्रेश के लिहाज से भी यह मुद्रा आपके स्वास्थ्य के लिए बेहद प्रभावी है। यह आपको हाई ब्लडप्रेशर से बचाती है और मानसिक व आत्म‍िक तौर पर शांति प्रदान करती है।



4  रंगों के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव को विज्ञान और विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों ने माना है। जब आप रंगों के संपर्क में आते हैं, तो इनसे उत्सर्जित ऊर्जा आप पर प्रभाव डालती है, जिससे कई तरह की मानसिक और शारीरिक समस्याओं का इलाज संभव है।



5 विभिन्न रंगों और फूलों से बनाई गई रंगोली आपके घर और आसपास के वातावरण में सकारात्मक उर्जा का संचार करती है, जिससे मन प्रसन्न और वातावरण बेहद सकारात्मक होता है। इसका असर भी आपकी सेहत पर पड़ता है।

विश्व रिकार्ड मे शामिल रंगोली:-

मिर्ज़ापुर मे राष्‍ट्रीय मतदाता दिवस के अवसर पर जिले के स्‍कूली बच्‍चों ने दुनिया की सबसे बड़ी रंगोली बनाकर विश्‍व रिकॉर्ड अपने नाम जो दर्ज करा लिया । इस रंगोली की साइज 39,125 वर्ग मीटर है। इससे पहले यह रिकॉर्ड पुणे के एक कॉलेज के नाम था। उस रंगोली की साइज 24 हजार वर्ग मीटर थी।


Rangoli History Hindi me Rangoli History Hindi me Reviewed by Janhitmejankari Team on November 03, 2018 Rating: 5

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