Mary Kom - मैरी कॉम


उम्र 35 साल और तीन बच्चों की मां, लेकिन मुक्के से आज भी सोना बरसाती हैं। भारत की दिग्गज मुक्केबाज एम सी मैरीकॉम ने शनिवार को महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में छठी बार स्वर्ण पदक जीता जो विश्व चैंपियनशिप में उनका कुल सातवां पदक है। 

महान मैरी ने 48 भारवर्ग के फाइनल में यूक्रेन की 22 साल की युवा मुक्केबाज हना ओखोता को एकतरफा 5-0 से हराया। विश्व चैंपियनशिप में छठा स्वर्ण जीतने वाली वह दुनिया की पहली महिला मुक्केबाज हैं।  

मणिपुर की मुक्केबाज मैरी ने 2001 में हुई विश्व चैंपियनशिप में रजत पदक जीता था। उसके बाद लगातार पांच विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्डन पंच जड़ा। पिछला स्वर्ण उन्होंने 2010 में जीता था। वह सात बार फाइनल में पहुंचने वाली भी पहली महिला मुक्केबाज हैं।
7 पदक हो गए हैं मैरीकॉम के विश्व मुक्केबाजी की जिनमें छह स्वर्ण और एक रजत पदक है। इस खिताब के साथ ही मैरी कॉम 6 स्वर्ण पदक जीतने वाली विश्व की पहली महिला बॉक्सर बन गयी हैं।

भावुक मैरी ने कहा, ‘मैं इस जीत के लिए अपने सभी प्रशंसकों का शुक्रिया अदा करती हूं, जो मुझे यहां समर्थन करने के लिए आए। मैं आप सभी की तहेदिल से शुक्रगुजार हूं। मेरे लिए यह महान पल है।’ यह दूसरा मौका है, जब वह खिताबी फाइट के लिए घरेलू फैंस के सामने थीं। इससे पहले 2006 घरेलू दर्शकों के सामने रिंग में उतरी थीं। "




क्यूबा के दिग्गज फेलिक्स की बराबरी की
इस स्वर्ण के साथ उन्होंने क्यूबा के दिग्गज पुरुष मुक्केबाज फेलिक्स सेवोन की बराबरी की जिन्होंने विश्व चैंपियनशिप में सात पदक जीते थे। फेलिक्स (1986-1999) के खाते में भी छह स्वर्ण और एक रजत पदक है। इस विश्व चैंपियनशिप से पहले मैरी आयरलैंड की केटी टेलर (पांच स्वर्ण, एक कांस्य) के साथ बराबरी पर थीं।

परिचय
मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में एक गरीब किसान के परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा लोकटक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल और सेंट हेवियर स्कूल से पूरी की। आगे की पढाई के लिये वह आदिमजाति हाई स्कूल, इम्फाल गयीं लेकिन परीक्षा में फेल होने के बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया और फिर राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से परीक्षा दी। मैरी कॉम की रुचि बचपन से ही एथ्लेटिक्स में थी।
उनके मन में बॉक्सिंग का आकर्षण 1999 में उस समय उत्पन्न हुआ जब उन्होंने खुमान लम्पक स्पो‌र्ट्स कॉम्प्लेक्स में कुछ लड़कियों को बॉक्सिंग रिंग में लड़कों के साथ बॉक्सिंग के दांव-पेंच आजमाते देखा। मैरी कॉम बताती है कि
"मैं वह नजारा देख कर स्तब्ध थी। मुझे लगा कि जब वे लड़कियां बॉक्सिंग कर सकती है तो मैं क्यों नहीं?"

साथी मणिपुरी बॉक्सर डिंग्को सिंह की सफलता ने भी उन्हें बॉक्सिंग की ओर आकर्षित किया।

मैरी कॉम की शादी ओन्लर कॉम से हुई है। उनके जुङवाँ बच्चे हैं।

पुरस्कार और उपलब्धियां
2012: लदंन ओलंपिक कांस्य पदक(51 भारवर्ग) , 2018 : राष्ट्रमंडल खेल गोल्ड(48 भारवर्ग) ,  एशियाई खेल 2010 ग्वांगझू (51 भारवर्ग), 2014 इंच्योन स्वर्ण (51 भारवर्ग)

-पांच स्वर्ण और एक रजत पदक एशियन महिला मुक्केबाजी में भी जीते। एशियन इनडोर गेम्स में भी स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं।

मैरी कॉम ने सन् 2001 में प्रथम बार नेशनल वुमन्स बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती। अब तक वह 10 राष्ट्रीय खिताब जीत चुकी है। बॉक्सिंग में देश का नाम रोशन करने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2003 में उन्हे अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया एवं वर्ष 2006 में उन्हेंं पद्मश्री से सम्मानित किया गया। जुलाई 29, 2009 को वे भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए चुनी गईं।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्त्रीत्व को नई परिभाषा देकर अपने शौर्य बल से नए प्रतिमान गढ़ने वाली विश्व प्रसिद्ध मुक्केबाज श्रीमती एमसी मैरी कॉम 17 जून 2018 को वीरांगना सम्मान से विभूषित किया गया। नई दिल्ली में आयोजित 10 वीं एआईबीए महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप 24 नवंबर, 2018 को उन्होंने 6 विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली पहली महिला बनकर इतिहास बनाया।
उनके जीवन पर एक फिल्म भी बनी जिसका प्रदर्शन 2014 में हुआ। इस फिल्म में उनकी भूमिका प्रियंका चोपड़ा  ने निभाई।
उनकी उपलब्धियों से प्रभावित होकर एआईबीए  ने उन्हें मॅग्नीफ़िसेन्ट मैरी (प्रतापी मैरी) का संबोधन दिया।
विश्व चैंपियनशिप में मैरीकॉम के मेडल

वर्ष    कहां     भारवर्ग    पदक

2001    पेंसलिवेनिया    48    रजत

2002    तुर्की    45    स्वर्ण

2005    रूस    46    स्वर्ण

2006    नई दिल्ली    46    स्वर्ण

2008    चीन    48    स्वर्ण

2010    बारबाडोस    48    स्वर्ण

2018    नई दिल्ली    48    स्वर्ण

Mary Kom - मैरी कॉम Mary Kom - मैरी कॉम Reviewed by Princy singh on November 24, 2018 Rating: 5

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