Diwali
दीपावली
(रौशनी का त्यौहार)
दीपावली भारतीयों का एक प्रमुख त्यौहार है। यह प्रति वर्ष कार्तिक मास में अमावस्या के दिन मनाई जाती है।इसे दीवाली, दीपावली नामों से जाना जाता है।यह त्यौहार अंधकार से प्रकाश की ओर, झूठ पर सत्य की जीत,बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।दीपावली दो शब्दों से मिलकर बना है - दीप +आवली जिसका शाब्दिक अर्थ है- दीपों की श्रृंखला।
यह त्यौहार हिन्दू ,सिख,जैन धर्म के सभी लोग मनाते है।
दीपावली के एक हफ्ता पहले से ही लोग अपने घरों,दफ्तर, गलियों की सफाई करने लगते है।घरों, दफ्तरों को रंग करवाते है फिर उन्हें कई प्रकार की लाइट से सजाते है। लोग अपने घरों में रंगोली बनाते हैं।
दीपावली के दिन नए -नए कपड़े पहनकर माँ लक्ष्मी जी तथा गणेश जी की पूजा करते हैं।पूजा के उपरान्त दीप प्रजवलित करके दीपों को पूरे घर में रखते हैं।लोगों के घर - घर जाकर मिठाइयां बाटते हैं। अपनी खुशी को व्यक्त करने के लिए पटाखों की आतिशबाजी करते हैं।
दीपावली 5 दिनों तक मनाया जाने वाला त्यौहार है और हर दिन का अपना महत्व है।
5 दिन इस प्रकार है-
यह त्यौहार हिन्दू ,सिख,जैन धर्म के सभी लोग मनाते है।
दीपावली के एक हफ्ता पहले से ही लोग अपने घरों,दफ्तर, गलियों की सफाई करने लगते है।घरों, दफ्तरों को रंग करवाते है फिर उन्हें कई प्रकार की लाइट से सजाते है। लोग अपने घरों में रंगोली बनाते हैं।
दीपावली के दिन नए -नए कपड़े पहनकर माँ लक्ष्मी जी तथा गणेश जी की पूजा करते हैं।पूजा के उपरान्त दीप प्रजवलित करके दीपों को पूरे घर में रखते हैं।लोगों के घर - घर जाकर मिठाइयां बाटते हैं। अपनी खुशी को व्यक्त करने के लिए पटाखों की आतिशबाजी करते हैं।
दीपावली 5 दिनों तक मनाया जाने वाला त्यौहार है और हर दिन का अपना महत्व है।
5 दिन इस प्रकार है-
- धनतेरस
- नरक चतुर्दशी
- दीपावली
- गोबर्धन पूजा
- भाई दूज
धनतेरस
हिन्दू धर्म के पुराणों में मान्यता है कि समुद्र मंथन जो कि असुर और देवताओं के बीच हुआ था जुसमे 14 रत्न निकले थे। समुद्र मंथन में ध्वंतरी जी भी अमृत लेकर प्रकट हुए थे।ध्वंतरी को आयुर्वेद का जनक कहा जाता है।धनतेरस के दिन धन्वंतरि तथा धन के देवता कुबेर जी की पूजा की जाती है।
इसदिन लोग छोटी चमच्च से लेकर स्वर्ण की वस्तुएँ खरीदतें है।
नरक चतुर्दशी
पुराणों के अनुसार एक कथा प्रचलित है कि पृथवी माँ का एक पुत्र था नरकासुर ।उसे वरदान मिला था कि उसे बस पृथ्वी माँ ही मर सकती है।इसलिये पृथ्वी मा ने अश्वधमा के रूप में जन्म लेकर नरकासुर का वध किया।
दीपावली
तीसरे दिन माता लक्ष्मी तथा गणेश जी की पूजा करकर दीपावली मनाई जाती है।लक्ष्मी जी धन की देवी कहा जाता है।इन दिन गणेश जी को भी लक्ष्मी जी के साथ पूजा जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि लक्ष्मी जी का कोई पुत्र न था तब पार्वती जी ने अपने एक पुत्र गणेश को उन्हें सोप दिया।तब से लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी पूजे जाने लगे।
भगवान राम और माता सीता जब 14 वर्षो का वनवास काटकर अयोधया लौटे थे तब अयोध्यानागर वासियों ने उनके स्वागत की खुशी में दिये जलाकर पूरी अयोध्यानागरी को दीपों से सजाया था।तबसे इस दिन को दीपावली के रूप में मनाया जाने लगा।
गोबर्धन पूजा
इसदिन गोबर्धन की पूजा की जाती है।यह मान्यता भगवान राम के समय से चलती आरही है।भगवान कृष्ण ने भी गोबर्धन पहाड़ को अपनी उँगली पर उठा कर गोकुलवासियों को इंद्रा के प्रकोप से बचाया था।
भाई दूज
ऐसी मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना(यमी)से मिलने गए थे। तब यमराज ने घोषणा की कि इसदिन जो भी अपनी बहन से पूजा करवाएगा वह नरक से बच रहेगा।तबसे यह प्रथा चली आ रही।इसदिन बहनें अपने भाई की पूजा करती है और उनकी कुशलता की कामना करती है।
अलग-अलग धर्मों में दीपावली के दिन को अलग तरीके से मनाया जाता है-
हिन्दू धर्म
इस दिन अयोध्या के राजा राम और माता सीता क 14 वर्षों के वनवास को काटकर अयोध्या वापिस लौटे थे। अयोध्यावसिओं ने उनके वापिस लौटने की खुशी में दीपावली मनाई।
जैन धर्म
जैन धर्म मे इस दिन को जैन धर्म के 24वे तीर्थथकर महावीर जी को मोक्ष प्राप्ति के रूप में मनाया जाता है।
Diwali
Reviewed by Annu
on
November 04, 2018
Rating:
Thanks for Full information about diwali
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