Dev deepawali 2018-देव दीपावली


गंगा के किनारे अर्द्धचंद्राकार में चमकते-दमकते घाटों की कतारबद्ध श्रृंखलाएं और घाटों पर झिलमिलाती असंख्य दीयों में टिमटिमाती रोशनी की मालाएं,  आकर्षक आतिशबाजी की चकाचौंध की दीवाली काशी की सबसे खास दीपावली है। जिसका इंतजार काशीवीसी बेसब्री से करते हैं। कार्तिक मास की पूर्णिमा को पड़ने वाली  देव दीपावली पर ऐसा विहगंम व मनोरम दृश्य होता है मानों देवता इस पृथ्वी पर दीवाली मनाने आ रहे हो। गंगा के रास्ते देवताओं की टोली आने वाली है और उन्हीं के स्वागत में काशी के 84 घाटों पर टिमटिमाती दीयों की लौ इंतजार में है।

बजते घंट-घड़ियालों, शंखों की गूंज व आस्था एवं विश्वास से लबरेज देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु इसे देखने आते हैं। हर हाथ में दीपकों से सजी थाली और मन में उमंगों की उठान से  घाट महरूम हो उठता है। ऋतुओं में श्रेष्ठ शरद ऋतु, मासों में श्रेष्ठ ‘कार्तिक मास’ तथा तिथियों में श्रेष्ठ पूर्णमासी प्रकृति का अनोखा माह तो है ही, यह देवताओं का भी दिन माना जाता है। इस माह की पवित्रता इस बात से भी है कि इसी माह में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्वों को प्रमाणित किया है। 


इस माह में किये हुए स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना आदि का अनन्त फल है। इसी पूर्णिमा के दिन सायंकाल भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था, तो इसी तिथि को भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुर नामक दैत्य का वध किया और अपने हाथों बसाई काशी के अहंकारी राजा दिवोदास के अहंकार को नष्ट कर दिया। राक्षस के मारे जाने के बाद देवताओं ने स्वर्ग से लेकर काशी में दीप जलाकर खुशियां मनाई और देव दीपावली नाम दिया। 

कहते है उस दौरान काशी में भी रह रहे देवताओं ने दीप जलाकर देव दीपावली मनाई। तभी से इस पर्व को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर काशी के घाटों पर दीप जलाकर मनाया जाने लगा। मान्यता है कि इस दिन देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है। इस प्रसन्नता के वशीभूत दीये जलाये जाते हैं। वैसे भी इस समय प्रकृति विशेष प्रकार का व्यवहार करती है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और वातावरण में आह्लाद एवं उत्साह भर जाता है। इससे समस्त पृथ्वी पर प्रसन्नता छा जाती है। पृथ्वी पर इस प्रसन्नता का एक खास कारण यह भी है कि पूरे कार्तिक मास में विभिन्न व्रत-पर्व एवं उत्सवों का आयोजन होता है, जिनसे पूरे वर्ष सकारात्मक कार्य करने का संकल्प मिलता है।

देव दीपावली से जुड़ी पौराणिक कथाएँ

देव दीपावली की पृष्ठभूमि पौराणिक कथाओं से भरी हुई है। एक कथा के अनुसार भगवान शंकर ने देवताओं की प्रार्थना पर सभी को उत्पीडि़त करने वाले राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया, जिसके उल्लास में देवताओं ने दीपावली मनाई, जिसे आगे चलकर देव दीपावली के रूप में मान्यता मिली। 

इसी संदर्भ में एक अन्य कथानक भी है। 
त्रिशंकु को राजर्षि विश्वामित्र ने अपने तपोबल से स्वर्ग पहुँचा दिया। देवतागण इससे उद्विग्न हो गए और त्रिशंकु को देवताओं ने स्वर्ग से भगा दिया। शापग्रस्त त्रिशंकु अधर में लटके रहे। त्रिशंकु को स्वर्ग से निष्कासित किए जाने से क्षुब्ध विश्वामित्र ने पृथ्वी-स्वर्ग आदि से मुक्त एक नई समूची सृष्टि की ही अपने तपोबल से रचना प्रारंभ कर दी। उन्होंने कुश, मिट्टी, ऊँट, बकरी-भेड़, नारियल, कोहड़ा, सिंघाड़ा आदि की रचना का क्रम प्रारंभ कर दिया। इसी क्रम में विश्वामित्र ने वर्तमान ब्रह्मा-विष्णु-महेश की प्रतिमा बनाकर उन्हें अभिमंत्रित कर उनमें प्राण फूँकना आरंभ किया। सारी सृष्टि डाँवाडोल हो उठी। हर ओर कोहराम मच गया। हाहाकार के बीच देवताओं ने राजर्षि विश्वामित्र की अभ्यर्थना की। 

महर्षि प्रसन्न हो गए और उन्होंने नई सृष्टि की रचना का अपना संकल्प वापस ले लिया। देवताओं और ऋषि-मुनियों में प्रसन्नता की लहर दौड़ गई। पृथ्वी, स्वर्ग, पाताल सभी जगह इस अवसर पर दीपावली मनाई गई। यही अवसर अब देव दीपावली के रूप में विख्यात है।

क्या खास होगा इस बार की देव दीपावली पर

काशी में गंगा के 84 घाटों पर 23 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर देव दीपावली के आयोजनों में अयोध्या और मथुरा की झलक दिखेगी। तीन किलोमीटर तक फैले अर्धचंद्राकार घाटों पर जगमगाते लाखों दीप अयोध्या में दीपावली की याद दिलाएंगे तो फूलों की विशेष सजावट से मथुरा की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की मनोरम छटा का अहसास होगा।

इस दौरान प्रमुख घाटों पर रामलीला और रासलीला के अंशों की झांकी प्रदर्शित की जाएगी। जगह-जगह सांस्कृतिक आयोजन की तैयारी तेजी से चल रही है। वैसे तो काशी में मनाई जाने वाली देव दीपावली के लिए हर साल बड़ी तैयारी होती है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र में होने वाले इस आयोजन को राज्य सरकार इस बार भव्य बनाना चाहती है।

मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि इस बार सभी घाटों पर एक जैसी सजावट की जाएगी। देव दीपावली पर घाटों से लेकर प्रमुख स्थानों पर उत्सव जैसा माहौल बनाने के लिए राज्य सरकार ने पहली बार 50 लाख रुपये मंजूर किए हैं। 

इसे भी जानें

■ शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन  तुलसी विवाह की सारी रस्में पूरी हो जाती हैं और इस दिन तुलसी माँ की विदाई होती है। इस दिन तुलसी माँ की पूजा अति फलदायक है। शस्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्वयं भगवान कृष्ण तुलसी महारानी की पूजा  निम्न मंत्र से करते हैं:-
"वृन्दावनी वृंदा विश्वपूजिता पुष्पसार।
नंदिनी कृष्णजीवनी विश्वपावनी तुलसी।।"

■ कहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो जातक इस मंत्र से तुलसी माँ की पूजा करते हैं, संध्या के समय तुलसी पर दीपक जलाते हैं, घर को दीपमाला से सजाते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। उनके सभी जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और उनको जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

■ मनुष्यों की दीपावली के ठीक 15 दिन बाद, कार्तिक पुर्णिमा के दिन सूर्यास्त से 2 घंटा 24 मिनट तक रहने वाले प्रदोषकाल में घर के आंगन, मंदिर, द्वार के दोनों ओर, तुलसी के पौधे, आंवला और पीपल के वृक्ष के नीचे, मंदिर में, जलाशय, नदी आदि के तट पर दीपक जलाने से देवता प्रसन्न हो जाते हैं और उस जातक को ईश्वर की पूर्ण कृपा मिलती है। इस दिन घर के ईशान कोण/ घर की उत्तर पूर्व दिशा जिसे देवास्थान कहते हैं, वहां पर दीप अवश्य ही प्रज्वलित करना चाहिए।

विश्वप्रसिद्ध देव दीपावली को इस बार गिनीज बुक में दर्ज कराने की तैयारी

कार्तिक पूर्णिमा पर 23 नवंबर को गंगा तटों पर आयोजित हो रहे देव दीपावली को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कराने का प्रयास किया जाएगा। केंद्रीय देव दीपावली समिति और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में यह निर्णय किया गया। इसके साथ ही 84 घाटों पर देव दीपावली के आयोजन की रूपरेखा बनाई गई। आयोजनों में राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे।

सर्किट हाउस सभागार में रविवार को विधि न्याय, युवा कल्याण, खेलकूद एवं सूचना राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में शहर के प्रमुख कुंडों और तालाबों पर भी देव दीपावली मनाने का निर्णय किया गया। डॉ. तिवारी ने रीवा घाट एवं गोला घाट के साथ ही सभी 84 घाटों और गंगा उस पार रेती में लाइटिंग के लिए नगर निगम को निर्देश दिया। पर्यटन विभाग के अधिकारी से कहा कि जिन 16 घाटों पर देव दीपावली का आयोजन नहीं किया जाता है, वहां आयोजन कराए जाएं। राजघाट से अस्सी घाट के बीच प्रमुख घाटों पर निर्मित 25 मणियों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए संबंधित अधिकारी को निर्देशित किया।

उन्होंने जिलाधिकारी को विद्युत विभाग से निर्बाध विद्युत आपूर्ति कराने के लिए भी कहा। गोलाघाट के पास गंगा में बह रहे नाले की जानकारी पर नाराजगी व्यक्त की और उप नगर आयुक्त को निर्देश दिया। घाटों एवं आसपास की गलियों की समुचित सफाई व्यवस्था को कहा। 

जिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह ने समिति के सदस्यों से अपील की कि शहर की यातायात, जाम तथा स्वच्छता के प्रति स्थानीय लोग भी जागरूक हो। बैठक में आईजी विजय सिंह मीणा, एसएसपी आनंद कुलकर्णी, पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक अविनाश मिश्रा, नगर निगम के अधिकारी सहित केंद्रीय देव दीपावली समिति एवं विभिन्न घाटों के देव दीपावली और गंगा आरती संस्थाओं के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

इस घाट पर खास मेहमान होंगे अनिल कपूर

देव दीपावली पर दशाश्वमेध घाट पर होने वाले आयोजन में इस बार फिल्म अभिनेता अनिल कपूर खास मेहमान होंगे। यह जानकारी गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने प्रेस कांफ्रेंस में दी। बताया कि इस देव दीपावली देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं पर्यटकों से गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने का संकल्प दिलाया जाएगा।

छह वीर शहीदों के परिजनों को भागीरथी शौर्य सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इसमें सेना, सीआरपीएफ और एनडीआरएफ के दो-दो शहीद जवान शामिल किए गए हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ आकाशदीप से होगा। इसके बाद गायिका रेवती साकलकर द्वारा गणपति वंदना और देशभक्ति गीतों की प्रस्तुति से की जाएगी।

विशिष्ट अतिथि अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी होंगे। जवानों कर श्रद्धांजलि में इंडिया गेट व अमर जवान ज्योति की अनुकृति बनाई जाएगी।  सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रसिद्ध सरोद वादक पं. शिवदास चक्रवर्ती तबले पर कुबेर नाथ मिश्र के माध्यम से अमर संगीत विदुषी माता अन्नपूर्णा देवी को श्रद्धांजलि दी जाएगी। 

गंगा की लहरों पर लेजर शो की होगी शुरुआत

सारनाथ में लाइट एंड साउंड शो शुरू होने से पूर्व ही काशीवासी गंगा में लेजर लाइट की भव्यता देख सकेंगे। देव दीपावली पर गंगा में लेजर शो का आयोजन हो रहा है, जिसमें गंगा की लहरों पर गंगा की गाथा सुनाई जाएगी। पर्यटन विभाग इसकी तैयारी कर रहा है।

पहली बार गंगा में लेजर शो का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों से राजघाट पर किया जाएगा। अस्सी घाट पर स्थाई और नियमित तौर पर लेजर शो की योजना बनाई है। योजना के मुताबिक अगले साल से बहुप्रतीक्षित लाइट एंड साउंड शो सारनाथ में शुरू किया जाएगा। प्रवासी भारतीय सम्मेलन से पहले इसे हर सूरत में अंजाम दिया जाना है।







Dev deepawali 2018-देव दीपावली Dev deepawali 2018-देव दीपावली Reviewed by Princy singh on November 18, 2018 Rating: 5

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