Chath puja 2018 छठ पूजा पूजा एवं मुहूर्त

Chath puja 2018 छठ पूजा




 छठ पूजा हिन्दू धर्म का कार्तिक मास की शुक्लपक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक महवपूर्ण त्यौहार है।यह त्यौहार दिवाली के छः दिन बाद षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह त्यौहार उत्तर भारत मे विशेष कर बिहार मे मनाया जाता है। धीरे धीरे यह त्यौहार पूरी दुनिया (जहा भी बिहारी गये )मे चाहे इंग्लैंड,अमेरिका या मोरिशस मे खूब धूम धाम से मनाया जाता है।


वर्ष 2018 मे छठ का महापर्व 13 नवम्बर को मनाया जा रहा है।


इस पर्व में छठ मैया की पूजा की जाती है।ऐसा माना जाता है कि छठ मैया  सूर्य देवता की बहन हैं। पूजा मे नदी या पोखर मे खड़े होकर उगते एवं डूबते सूरज को अर्द्य दिया जाता है।
छठ की पूर्व संध्या से ही दुकाने खूब सज जाती है।जगह जगह गन्ना बांस और आम के पत्ते ,विभिन्न फल एवं फूलो  सारा बाजार साज जाता है। प्रयागराज में तो छठ की धूम धाम दिवाली के पहले से ही दिखने लगती है। हालाँकि छठ मूल रूप से बिहार का पर्व है लेकिन ये पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।  देश ही नहीं विदेशो में भी ये त्यौहार बहुत लोकप्रिय है। एक बिहारी अपनी सभ्यता और संस्कृति से हमेशा जुड़ा रहता है चाहे वो जिस देश में हो या जिस वेश में हो।  इसलिए तो बिहार के लोग जहाँ पर भी बसें है हर जगह छठ धूम धाम से मनाया जाता है। फिजी, गुयाना, मॉरिशियस, अमेरिका, इंग्लैंड जैसे देशो में भी छठ मनाया जाता है।

हिन्दुओं के सभी पर्वो में मुख्यता भक्त और ईश्वर के बीच पंडित या पुरोहित का महत्व होता है। लेकिन छठ एक ऐसा पर्व है जिसमे भक्त बिना किसी पंडित या पुरोहित की मदद के ही सीधे छठ माई जुड़ जाता है। यह एक ऐसा पर्व है जिसमे प्रकृति की पूजा की जाती है।इस पर्व मे भक्त पृथ्वी,सूर्य और जल की पूजा की जाती है।धरती पर जीवन देने के लिए और समृद्धि के लिए श्रद्धालु कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। छठ माँ की असीम कृपा और भक्ति में ही लोग 36 घंटो का व्रत एकदम आसानी से रख लेते है। ये आस्था की ही शक्ति ही की कड़कड़ाती ठण्ड में ही लोग सूर्य को अर्द्य देने पहुंच जाते है।


छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को तथा समाप्ति कार्तिक शुक्ल सप्तमी को होती है। इस दौरान व्रतधारी लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं। इस दौरान वे पानी भी ग्रहण नहीं करते। पूजा के दौरान नदी घाटों पर पूजा की व्यवस्था की जाती है।

छठ पूजा की शुरुवात कद्दू भात से होती है,दूसरे दिन रोटी और रासियाव से खरना किया जाता है फिर शुरू होता है 36 घंटो का व्रत। 


पूजा एवं मुहूर्त


13 नवंबर 2018, मंगलवार के दिन षष्ठी तिथि का आरंभ 01:50 मिनट पर होगा जिसका समापन 14 नवंबर 2018, बुधवार के दिन 04:21 मिनट पर होगा।

ये हैं छठ पूजा के 4 दिन एवं पूजा विधि-

1. पहला दिन नहाय खाय(11नवम्बर दिन रविवार  )
कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को यह व्रत आरंभ होता है। इसी दिन व्रती स्नान करके नए वस्त्र धारण करते हैं।

2. दूसरा दिन खरना(12नवम्बर दिन सोमवार)
कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना बोलते हैं। पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को व्रती भोजन (रासियाव रोटी)करते हैं।

3. षष्ठी संध्या अर्ध्य(13 नवम्बर 2018 दिन मंगलवार)
इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाते हैं। इस दिन ठेकुआ या टिकरी बनाते हैं। प्रसाद तथा फल से बाँस की टोकरी सजाई जाती है। टोकरी की पूजा कर व्रती सूर्य को अर्ध्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं और स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा करते हैं।

4. सप्तमी उषा अर्ध्य (14नवम्बर 2018 बृहस्पतिवार)
सप्तमी को प्रातः सूर्योदय के समय विधिवत पूजा कर प्रसाद वितरित करते हैं।




पौराणिक मान्यताएं:-



छठ पर्व कथाः राम-सीता ने की सूर्य की पूजा
एक मान्यता के अनुसार, लंका पर विजय पाने के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की पूजा की। सप्तमी को सूर्योदय के वक्त फिर से अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। यही परंपरा अब तक चली आ रही है।

पुराणों के मुताबिक राजा प्रियंवद को कोई संतान नहीं थी। तब महर्षि कश्यप ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ कराकर प्रियंवद की पत्नी मालिनी को यज्ञ आहुति के लिए बनाई गई खीर दी। इससे उन्हें पुत्र हुआ, लेकिन वह मृत पैदा हुआ। प्रियंवद पुत्र को लेकर श्मशान गए और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त भगवान की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं और उन्होंने कहा, ‘सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूं। राजन तुम मेरी पूजा करो और इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करो।’ राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को हुई थी।



छठ पर्व पर्व पर गए जाने वाले लोकगीत


इस गीत मे बाँझ महिला संतान प्राप्ति के लिए गीत गा रही है:-


गोबर मांगे गेली हे दीनानाथ गैया के बथान
गैया चरवाहा हे दीनानाथ लेले लालुआये
दूरी तुहु जाहि गे बाजहिं छोड़ ही बथान
टोरो परछहिया गए बाजहिं गैया होयत बाँझ







Chath puja 2018 छठ पूजा पूजा एवं मुहूर्त Chath puja 2018 छठ पूजा पूजा एवं मुहूर्त Reviewed by Janhitmejankari Team on November 12, 2018 Rating: 5

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