Brigadier Kuldip Singh Chandpuri MVC, VSM, Hero of Longewala passes away this morning

नहीं रहे ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी, भारत पाक युद्ध 1971 में लोंगेवाला में निभाई थी अहम् भूमिका 

लोंगेवाला पर दिखाए गए अदम्य साहस पर सनी देओल ने बॉर्डर फिल्म में उनका किरदार निभाया था। 


अभिनेता सनी देओल ने ट्वीट कर शोक जाहिर किया -



कुलदीप सिंह का जन्म 22 नवम्बर 1940 को एक गुर्जर सिख  परिवार में हुआ था। कुलदीप सिंह ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था की वो हर जन्म में एक फौजी बनना चाहते है। अगर देशभक्ति पर बानी फिल्मो की चर्चा की जाए तो बॉर्डर फिल्म का नाम सबसे ऊपर आता है। बॉर्डर फिल्म उनके द्वारा लोंगेवाला में दिखाए गए अदम्य साहस,  वीरता और पराक्रम पर आधारित है। 

आज ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह की मौत पर पूरा देश शोकाकुल है। उनका मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में आज निधन हो गया। उनका कैंसर का इलाज।



कुलदीप सिंह 1962 में भारतीय सेना में शामिल हुए। उन्होंने चेन्‍नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से कमीशन प्राप्त किया और पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन का हिस्सा बने। उन्होंने 1965 और 1971 के युद्ध में भाग लिया। जंग में उनकी वीरता को काफी सराहना मिली। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र के आपातकालीन बल में सालभर तक गाजा में सेवाएं दीं। दो बार मध्‍यप्रदेश के महू इन्फैंट्री स्कूल में इन्स्ट्रक्टर भी रहे।

Battle of Longewala


भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़ा 1971 का युद्ध समाप्त होने को था। इसी बीच 4 दिसंबर को मेजर कुलदीप सिंह को सूचना मिली की बड़ी संख्या में पाकिस्तान की फौज लोंगेवाला चौकी की ओर बढ़ रही है। लोंगेवाला चौकी की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिस सैन्य टुकड़ी के पास थी, उसका नेतृत्व मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी कर रहे थे। चांदपुरी के अधीन उस समय सिर्फ 90 के करीब जवान थे और 30 के करीब जवान गश्त पर थे। करीब 120 सैनिकों की बदौलत बड़ी फौज का सामना करना मुश्किल था। चांदपुरी चाहते तो अपने सैनिकों के साथ आगे रामगढ़ निकल सकते थे लेकिन उन्होंने चौकी की सुरक्षा के लिए रुकने और पाकिस्तान की फौज से दो-दो हाथ करने का फैसला किया। तब तक शाम हो चुकी थी और अंधेरे में किसी तरह की फौजी सहायता मिलना संभव नहीं था।

कुछ ही समय के अंदर लोंगेवाला चौकी पर पाकिस्तानी टैंक गोले बरसा रहे थे। भारतीय सैनिकों ने भी जवाबी हमले की तैयारी कर ली और जीप पर लगे रिकॉइललेस राइफल और मोर्टार से फायरिंग शुरू कर दी। यह इतनी दमदार कार्रवाई थी कि पाकिस्तानी सेना के कदम रुक गए। पाकिस्तानी सेना में करीब 2000 जवान थे और भारतीय सैन्य टुकड़ी में मुश्किल से 100 जवान, फिर भी उनका हौसला मजबूत था। रात होते-होते पाकिस्तान के 12 टैंक तबाह कर दिए और 8 किलोमीटर दूर तक पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ दिया। पाकिस्तान के मंसूबे पर पानी फिर चुका था। पाकिस्तानी सैनिकों का इरादा रामगढ़ होते हुए जैसलमेर तक पहुंचना था, लेकिन आगे बढ़ना तो दूर उनको पीछे हटना पड़ रहा था। 

रात भर मुट्ठी भर भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान का डटकर मुकाबला किया। अगले दिन यानी 5 दिसंबर, 1971 को सुबह सूरज निकलने के साथ ही भारतीय सैनिकों की मदद में वायु सेना का विमान पहुंच गया। भारतीय वायु सेना के विमान पाकिस्तानी टैंकों और फौजियों पर कहर बनकर टूट पड़े। पाकिस्तानी फौज उल्टे पांव भागने को मजबूर हो गई। अगले दिन 6 दिसंबर को फिर वायु सेना के हंटर विमानों ने कहर बरपाया। इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान की एक पूरी ब्रिगेड और दो रेजिमेंट का सफाया हो गया। 

लोंगेवाला के युद्ध में पाकिस्तान को बहुत शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान के 34 टैंक तबाह हो गए, 500 के करीब जवान घायल हो गए और 200 जवानों को जिंदगी से हाथ धोना पड़ा। दूसरे विश्वयुद्ध के यह पहला मौका था जब युद्ध में किसी सेना का इतनी बड़ी संख्या में टैंक तबाह हुआ हो। इस युद्ध में पाकिस्तान की काफी फजीहत हुई थी। भारतीय जमीन पर पाकिस्तान के कब्जे का मंसूबा नाकाम ही नहीं हुआ बल्कि उल्टे भारतीय सैनिक पाकिस्तान के 8 किलोमीटर अंदर तक जा घुसे। भारतीय सैनिक 16 दिसंबर तक पाकिस्तान की जमीन पर डेरा डाले रहे और 16 दिसंबर को भारत के जंग जीतने के साथ ही भारतीय सैनिक अपनी सीमा में वापस आए। 
 यह कहा जा सकता है कि अगर मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी नहीं होते तो भारत का नक्शा बदल गया होता। पाकिस्तानी फौज आसानी से रामगढ़ होते हुए जैसलमेर तक पहुंच जाती। मेजर चांदपुरी चाहते तो पाकिस्तानी फौज का सामना किए बगैर रामगढ़ जा सकते थे लेकिन उन्होंने देश के दुश्मन को करारा जवाब देने में देरी नहीं की। उन्होंने असाधारण नेतृत्व का परिचय दिया। रात के समय में वह बंकरों का चक्कर लगा रहे थे। हर बंकर में जाकर अपने सैनिकों का हौसला बढ़ाते। उन्होंने अगली सुबह को सैन्य मदद पहुंचने तक दुश्मन को करारा जवाब देने के लिए सैनिकों को प्रेरित किया। उनके इस नेतृत्व से प्रोत्साहित होकर सैनिकों ने भी डटकर पाकिस्तानी सैनिकों का मुकाबला किया और बगैर किसी अतिरिक्त मदद के पाकिस्तान के 12 टैंकों को रात तक तबाह कर दिया था।


Brigadier Kuldip Singh Chandpuri MVC, VSM, Hero of Longewala passes away this morning Brigadier Kuldip Singh Chandpuri MVC, VSM, Hero of Longewala passes away this morning Reviewed by Janhitmejankari Team on November 17, 2018 Rating: 5

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