ऐसे मनाएं दीवाली।
दीवाली या दीपावली का पर्व हम सभी के लिए हर वर्ष खुशियों की सौगात लेकर आता है। दीवाली का नाम सुनते ही हम सबके मन मस्तिष्क के पटल पर कई तरह की छवि उभरने लगती है जैसे कि रंग बिरंगी लड़ियों की जगमगाहट, फैंसी मोमबतियों की रोशनी, सुंदर रंगोलियां, गणेश लक्ष्मी पूजन, ढेर सारे पटाखों का शोर गुल, विभिन्न प्रकार के व्यंजन, भिन्न भिन्न प्रकार की मिठाईयां इत्यादि और इन सब के बारे में सोचते ही हम सब प्रफुल्लित हो उठते हैं।
पर क्या आप जानते हैं कि दीवाली का पर्व ऐसा होना चाहिए जो न सिर्फ हमें खुशियां दे बल्कि हम सभी के जीवन में रोशनी और उजाला भर दे? इसके लिए आपको किसी तरह की मेहनत या दान-दक्षिणा करने की आवश्यकता नहीं है, बस आपको नीचे लिखी कुछ बातों का विशेष ध्यान देना होगा ।
1. सबसे पहले तो हम सभी को प्रयास करना चाहिए कि हर दीपावली को हम अपने घरों और दफ्तरों को मिट्टी के बने दीयों से सजाएं। दीपावली का शाब्दिक अर्थ ही होता है -दीपों का पर्व। फिर हम सब क्यों चीनी इलेक्ट्रॉनिक लड़ियों और फैंसी मोमबत्तियों के पीछे भागते हैं? मिट्टी के दिये न केवल इको फ्रेंडली होते हैं बल्कि ये कई गरीब परिवारों के जीवन का स्रोत होते हैं। हम सभी को स्वदेशी चीजों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। मिट्टी के दियों को प्रज्वलित करने से बिजली की बचत होती है और इसके साथ ही घर के कीड़े मकोड़े भी मर जाते हैं।
2. हम सभी को आर्गेनिक तरीके से तैयार गणेश लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए और ऐसी मूर्ति ही खरीदें जो कम से कम केमिकल से तैयार की गयी हो। बड़े बड़े दुकानदारों से फैंसी मूर्तियां तो हम खरीद लेते हैं पर हम यह भूल जाते हैं कि इन मूर्तियों को जल में प्रवाहित करने से पर्यावरण पर क्या दुषप्रभाव पड़ता है। तो हम सभी को छोटे दूकानदारों से साधारण सी दिखने वाली सिर्फ मिट्टी से बनी मूर्ति खरीदनी चहिये।
3. पटाखों का कम से कम इस्तेमाल करें और वह भी ग्रीन पटाखों का या आर्गेनिक पटाखों का जिससे प्रदूषण का स्तर कम रहे और पर्यावरण को किसी तरह की हानि न हो। पटाखों से सबसे ज्यादा क्षति मरीजों को और पशु पक्षियों को होती है क्योंकि पटाखों की शोर से वे बेचैन हो जाते हैं। इसलिये दिवाली का पर्व ऐसे मनाये की हम ज्यादा से ज्यादा खुशियां बांट सकें न कि किसी को दुख दें।
4. दीवाली पर मिठाईयां भी खूब प्रचलन में रहती हैं और यही मौका होता है जब बाजार मिलावटी वस्तुओं से भर जाता है जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसलिए हम सभी को घर में निर्मित मिठाईयों का सेवन करना चाहिए।
5. पटाखे जलाने से हर साल बहुत सारे लोग जल जाते हैं और बहरेपन का शिकार हो जाते हैं। पटाखे जलाने का मतलब यह भी होता है कि पैसों अथार्त लक्ष्मी जी को आग लगाना। इसलिए आप सभी से निवेदन है कि दीवाली के पर्व पर पटाखे ना जलाये और अपने घर में लक्ष्मी जी का स्वागत करें। पटाखे जलाने से हर गली मुहल्ले में गंदगी भी फैल जाती है, और दीवाली हम सब के लिए स्वच्छ और सुखद वातावरण वाला पर्व होना चाहिए ना कि गन्दगी का।
6. रंगोली बनाने का प्रचलन भी खूब है। पर रंगोली बनाने के लिए हमेशा घर में पड़ी हुई वस्तुओं का इस्तेमाल करें जैसे कि आटा, चावल, रंग बिरंगे फूल, पत्तियां इत्यादि। बाज़ार में मिलने वाली केमिकल रंगों का इस्तेमाल न करें। या फिर आप ऐसे रंगों का चुनाव करें जो कि आर्गेनिक हो।
दीवाली पर्व का अर्थ है हर्षोउल्लास का पर्व , खुशियां साझा करने का पर्व, सारे गीले शिकवे दूर करने का पर्व। अतः हम सबको भरसक प्रयत्न करना चाहिए कि इस पर्व पर हम जितनी खुशियां बांट सकते हैं, उतनी बाटें। हमारी वजह से किसी भी जीव जंतु को किसी तरह की भी हानि न पहुंचे। हम सभी को प्रयत्न करना चाहिए कि हम किसी के जीवन में अंधकार नहीं अपितु उजाला लायें। इसके लिए हम सभी को ऊपर लिखी बातों पर गौर करना चाहिए और उसका सजगता और समझदारी के साथ अनुसरण करना चाहिए। त्योहारों की अपनी सामाजिकता है, जो हमे थोड़ा और मानवीय, थोड़ा और उदार बनाती है और आपस में जोड़ती है। क्यों न हम इस दीपावली प्रेम का एक दिया जलाएं और हमारे आसपास के माहौल और पर्यावरण को बेहतर बनाने का संकल्प लें। सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो।
ऐसे मनाएं दीवाली।
Reviewed by Princy singh
on
November 04, 2018
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