भाई दूज/ यम द्वितीया की पूजन विधि, शुभ मुहूर्त, कहानी, कथा
दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है।दिवाली का त्योहार 5 दिनों तक चलता है। इसमें धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज आदि मनाए जाते हैं, जिसमें सबसे आखिरी दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस तिथि से यमराज और द्वितीया तिथि का सम्बन्ध होने के कारण इसको यमद्वितिया भी कहा जाता है। भाई दूज को भाई टीका और भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया यानी दीपावली के दूसरे दिन मनाये जाने वाले इस त्योहार के दौरान बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है। इसके बाद भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट करता है। यह त्योहार बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और नेपाल सहित अन्य जगहों पर अलग-अलग नामों से प्रमुखता से मनाया जाता है।
इस दिन बहनें अपने भाई का तिलक करती हैं, उनका स्वागत सत्कार करती हैं और उनकी लम्बी आयु की कामना करती हैं। माना जाता है कि जो भाई इस दिन बहन के घर पर जाकर भोजन ग्रहण करता है और तिलक करवाता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। भईया दूज के दिन ही यमराज के सचिव चित्रगुप्त जी की भी पूजा होती है। इस बार भाई दूज का पर्व 9 नवम्बर को मनाया जाएगा।
भाई दूज के लिए पूजा की प्रक्रिया क्या है?
- आज के दिन भाई प्रातःकाल चन्द्रमा का दर्शन करें.
- इसके बाद यमुना के जल से स्नान करें या ताजे जल से स्नान करें।
- अपनी बहन के घर जाएं और वहाँ बहन के हाथों से बना हुआ भोजन ग्रहण करें।
- बहनें भाई को भोजन कराएं और उनका तिलक करके आरती करें।
तिलक करते समय यह मंत्र पढें:-
गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे,भाई आप बढ़ें फूले-फलें।
तिलक करते समय यह मंत्र पढें:-
गंगा पूजे यमुना को, यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे,भाई आप बढ़ें फूले-फलें।
- भाई यथाशक्ति अपनी बहन को उपहार दें।
- इस दिन गोधन कूटने की प्रथा भी है। गोबर की मानव मूर्ति बना कर छाती पर ईंट रखकर स्त्रियां उसे मूसलों से तोड़ती हैं। स्त्रियां घर-घर जाकर चना, गूम तथा भटकैया चराव कर जिव्हा को भटकैया के कांटे से दागती भी हैं। दोपहर पर्यन्त यह सब करके बहन भाई पूजा विधान से इस पर्व को प्रसन्नता से मनाते हैं। इस दिन यमराज तथा यमुना जी के पूजन का विशेष महत्व है।
भैया दूज की कथा
भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था। यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा। कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।
यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है। बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया।
यमुना ने कहा कि भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे। यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की। इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी। ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है।
श्री कृष्ण और सुभद्रा की कथा
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर वापस द्वारिका लौटे थे। इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था और भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनके दीर्घायु की कामना की थी।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर वापस द्वारिका लौटे थे। इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल, फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था और भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनके दीर्घायु की कामना की थी।
विभिन्न क्षेत्रों में भाई दूज पर्व
विविधता वाले हमारे देश के विभिन्न इलाकों में भाई दूज पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।
पश्चिम बंगाल में भाई फोटा
पश्चिम बंगाल में भाई दूज को भाई फोटा पर्व के नाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें व्रत रखती हैं और भाई का तिलक करने के बाद भोजन करती हैं।
महाराष्ट्र में भाऊ बीज
महाराष्ट्र और गोवा में भाई दूज को भाऊ बीज के नाम से जाना जाता है। मराठी में भाऊ का अर्थ होता है भाई।
उत्तर प्रदेश में भाई दूज
यूपी में भाई दूज के मौके पर बहनें भाई का तिलक कर उन्हें आब और शक्कर के बताशे देती हैं।
बिहार में भाई दूज
बिहार में भाई दूज पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इस दिन बहनें भाइयों को डांटती हैं और उन्हें भला बुरा कहने के बाद उनसे माफी मांगती हैं। इसके बाद बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं।
नेपाल में भाई तिहार
नेपाल में भाई दूज पर्व भाई तिहार के नाम से मनाया जाता है। तिहार का मतलब तिलक या टीका होता है। इसके अलावा भाई दूज को भाई टीका के नाम से भी मनाया जाता है। नेपाल में इस दिन बहनें भाइयों के माथे पर सात रंग से बना तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु व सुख, समृद्धि की कामना करती हैं।
भाई दूज 2018 का शुभ मुहूर्त
भाई दूज – 9 नवंबर
भाई दूज टीका मुहूर्त – दोपहर 1.09 बजे से 3.17 बजे तक
अवधि – 2 घंटे 8 मिनट
द्वितीया तिथि शुरू – रात 9.07 बजे से (8 नवंबर)
द्वितीया तिथि समाप्त – रात 9.20 बजे (9 नवंबर)
भाई दूज/ यम द्वितीया की पूजन विधि, शुभ मुहूर्त, कहानी, कथा
Reviewed by Princy singh
on
November 06, 2018
Rating:
No comments: