किसी के सुख का हिस्सेदार बनने से ज्यादा श्रेयष्कर कारण बनना है और उसी प्रकार किसी के दुःख का कारण बनने से श्रेयष्कर है उसका हिस्सेदार बनना ।
Reviewed by Unknown on March 16, 2018 Rating: 5

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